बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी - कफ़ील आज़र

Ghazal : बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी
Singer : जगजीत सिंह
Poet/Shayar/Writer : कफ़ील आज़र / Kafeel Aazar Amrohvi
Album/Movie : Grih Pravesh (गृह प्रवेश), the unforgettable
Released : 1977
'बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी'
जगजीत ने कफ़ील आज़र की ये नज़्म, फ़िल्म मैगज़ीन 'शमा' में पढ़ी थी उन्होने सबसे पहले वो भुपिंदर सिंह की आवज़ में रेकार्ड करवाई, जो रिलीज़ नहीं हुई | फिर अर्जुन देव रश्क़ की एक फ़िल्म के लिये रेकार्ड की, जो फ़िल्म बनी नहीं... हर रचना की अपनी नियति होती है |
उनको ये नज़्म बेहद पसंद थी तो प्रतिबंध हटने के बाद के अपने पहले एलबम #TheUnforgettables में शामिल की |

फ़िल्म मेकर बासु भट्टाचार्य ने हिंदी फ़िल्मों में सबसे पहले जगजीत सिंह की प्रतिभा को पहचाना (वैसे पहले जगजीत साठ के दशक में गुजराती फ़िल्म मे भजन गा चुके थे), और फ़िल्म आविष्कार में क्लासिक रचना "बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाये" को बासु ने जगजीत-चित्रा के युगल स्वरों में बेहद खूबसूरती से क्लाईमैक्स में प्रस्तुत किया | उसके बाद अपनी अगली फ़िल्म गृह-प्रवेश में जगजीत की गाई "बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी" को फिर से शामिल किया |

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी
लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे
ये भी पूछेंगे के तुम इतनी परेशां क्यूँ हो

उंगलियां उठेंगी सूखे हुए बालों की तरफ
एक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ़
चूड़ियों पर भी कई तंज़ किये जायेंगे
काँपते हाथों पे भी फ़िकरे कसे जायेंगे

लोग ज़ालिम हैं हर एक बात का ताना देंगे
बातों बातों में मेरा ज़िक्र भी ले आयेंगे
बातों बातों में मेरा ज़िक्र भी ले आयेंगे
उनकी बातों का ज़रा सा भी असर मत लेना
वरना चेहरे की तासुर से समझ जायेंगे

चाहे कुछ भी हो सवालात ना करना उनसे
मेरे बारे में कोई बात न करना उनसे - कफ़ील आज़र


Roman

Baat nikalegi to fir dur talak jaayegi
Log bewajah udaasi ka sabab puchhenge
Ye bhi puchhenge ke tum itani pareshaan kyon ho

Ungaliyaan uthhthhengi sukhe hue baalon ki taraf
Ek najar dekhenge gujare huye saalon ki taraf
Chudiyon par bhi ke tnz kiye jaayenge
Kaanpate haathon pe bhi fiqare kase jaayenge

Log jaalim hain har ik baat ka taana denge
Baaton baaton men mera zikr bhi le ayenge
Un ki baaton ka zara sa bhi asar mat lena
Warna chehare ke taasur se samajh jaayenge

Chaahe kuchh bhi ho sawaalaat na karana unse
Mere baare men koi baat na karana unse - Kafeel Aazar Amrovi
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